Dudhwa National Park - Heart of Uttarpradesh

Dudhwa national park

Heart of Uttarpradesh
"दुधवा राष्ट्रीय उद्यान  -उत्तरप्रदेश की धड़कन "

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के बिषय में तो उत्तरप्रदेश का कोई भी व्यक्ति जो प्राकृतिक वरदांनो से जागरूक है, वो अंजान नहीं है, दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के जंगल में मुख्य रूप से साल और शाखू के विशालकाय पौधे पाए जाते है, और उन्हीं  वनों में राष्ट्रीय उद्यान के वन्य जीव पाए जाते है, जो कि विश्वविख्यात है, दुधवा राष्ट्रीय उद्यान  बारहसिंघा  और बाघ के लिए विश्वप्रसिद्ध है, 
1फरवरी 1977 को दुधवा के जंगलों को  राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया !


दुधवा राष्ट्रीय उद्यान का चित्र 

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1फरवरी सन 1977 को हुई !


::दुधवा राष्ट्रीय उद्यान का ऐतिहासिक वर्णन 
स्थापना के समय राष्ट्रीय उद्यान में  तेंदुआ, गैंडा, बाघ, हांथी, शेर, बारहसिंघा, कांकड़, चीतल, कृष्ण-हिरण,भेड़िया, शियार, लकड़बग्घा, लोमड़ी, सरी सर्प, उभयचर, मछलियां , और  बसंत ऋतु के मौसम में तरह तरह की रंग-बिरंगी चिड़ियाँ, विभिन्न  जगह जगह से आये हुए सुन्दर पंछी  जैसी लाखों प्रजातियां निवास  करती है, तथा दुधवा राष्ट्रीय उद्यान की शोभा बढाती है जिससे राष्ट्रीय उद्यान का निखार सामने उभर कर आता है !कुछ समय पहले यहाँ पर जंगली भैसों का भी आवास होना पाया जाता था,लेकिन  अब बढ़ती हुई मानव आबादी के कारण धीरे धीरे विलुप्त होते चले गए, ये भैंस यहाँ पर पायी जाती थी, इनका प्रमाण वन छेत्र मे रहने वाले ग्रामीण और पालतू मवेशियों का माथा और सिंह देखकर पता लगाया जा सकता है कि अपने पूर्वजो के डी. एन. ए. का ये प्रमान  है!
यहाँ पर भारी मात्रा में  मगरमच्छ और घड़ियाल  सुहेली नदी में विचारते आपको दिख जायेंगे, जो क़ि सुहेली नदी की जीवन रेखा है !यहाँ पर स्थिति शारदा व घाघरा नदी में भी इनकी झलक पायी जा सकती है 
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स्वागत है दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में 

1987-1988ईस्वी. में  किशन पुर वन्य जीव विहार को दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में मिला लिया गया और इसके बाद बाघ संरछित  छेत्र घोषित कर दिया गया! बाद में  66किलो. का वन्य छेत्र इसमें और शामिल कर दिया गया अब इस संरछित छेत्रफल  884 किमी. का बढ़कर हो गया है !


दुधवा वन की और वन सम्पदा के संरक्षण शुरुवात  1860 ईस्वी. में डी. वी. ब्रैन्डिस के यहाँ आगमन से हुई  303किमी. का हिस्सा ब्रिटिश इंडिया सरकार के अंतर्गत संरछित  कर दिया गया, बाद में खैरीगढ़ स्टेट के जंगल  को भी मिलाकर  इस जंगल को और बढ़ा दिया गया, 1958ई. में  15.9वर्ग किलोमीटर के छेत्र को  सोनारीपुर सेंचुरी घोषित कर दिया गया, जिसके बाद 212 वर्ग किमी. का विस्तार देकर इससे दुधवा सेंचुरी का दर्जा दे दिया गया, ये  मुख्य्तः बारहसिंघा  संरक्षण  को ध्यान में रखकर बनायीं गई थी !

पर्यटन छेत्र दुधवा उद्यान 

यहाँ पर जून से अक्टूबर के महीने में अधिकतम  तापमान 35-40 डिग्री. रहता है, तथा रात का तापमान  20-25 डिग्री. तक तापमान रहने से  यहाँ पर भारी वर्षा और  बारिश के आसार बनें रेहतें है, दुधवा राष्ट्रीय उद्यान  की समुद्र तल  से  ऊंचाई  150-182 मीटर है !दुधवा राष्ट्रीय उद्यान, भारत के उत्तरप्रदेश राज्य में स्थित  है, तथा इससे निकटतम शहर  पलिया कला हैं  जो की  दुधवा से  मात्र  10 किमी.  की दूरी पर स्थित हैं ! दुधवा पार्क का  छेत्रफल  490वर्ग किमी. तक विस्तारित हैं तथा इसका इतिहास 1977 का  वर्णित हैं !

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान

दुधवा के वनों में ब्रिटिश राज से लेकर आजाद भारत में बनवायें गये लकड़ी के मचान कौतूहल व रोमांच उत्पन्न करते हैं।
थारू संस्कृति- कभी राजस्थान से पलायन कर दुधवा के जंगलों में रहा यह समुदाय राजस्थानी संस्क्रुति की झलक प्रस्तुत करता है,
इनके आभूषण, नृत्य, त्योहार व पारंपरिक ज्ञान अदभुत हैं,
 राणा प्रताप के वंशज बताने वाले इस समुदाय का इण्डों-नेपाल बार्डर पर बसने के कारण इनके संबध नेपाली समुदायों से हुए, नतीजतन अब इनमें भारत-नेपाल की मिली-जुली संस्कृति,भाषा व शारीरिक  संरचना हैं !

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